सच बोलूं तो Tuesday, October 10, 2023

सच बोलूं तो कुछ खास चल नहीं रही है जिंदगी अब

हर कमरे में एक मायूसी कोने में बेथी रहती है

देखती रहती है मुझे एक टक निगाह लगा कर

मानो कहती हो कि चुप तो हूं मैं पर मुझे भूल ना जाना

दूसरे कोने में डर भी आँखें फीके घूरता रहता है

जिसे देख के यूं लगता है कि अभी कूद के कुछ नोच देगा

जेसे ही उसको एक हद से ज्यादा ख़ुशी होने का पता चल जाये

खुशी बीच में बैठी होती है खुद कुछ सेहमी हुई सी

पर उसके ज़्यादा पास जाने की हिम्मत नहीं हो पाती है अब

सच बोलूं तो कुछ खास चल नहीं रही है जिंदगी अब